यम नियम का जीवन में व्यवहारिक महत्व
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Author(s):
ANJU RANI
Vol - 12, Issue- 8 ,
Page(s) : 30 - 34
(2021 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
प्रकृति/दृष्य एंव पुरूश/दृश्टा अर्थात जड एवं चेतन की भिन्नता का ज्ञान होना ही समाधि है अर्थात अविद्या की समाप्ति जो इस संयोग की जड है। यम नियम का पालन करते हुए जीवन के अंतिम लक्ष्य समाधि/कैवल्य को प्राप्त करना है। यम के पालन से व्यक्ति का आचरण षुद्व होता है। नियम जो व्यक्ति की आंतरिक षुद्वि करते है।
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