धर्मनिरपेक्षता नहीं तो क्या? पंडित दीनदयाल और उनके असम्प्रदायिकता के सिद्धांत की समकालीन प्रासंगिकता
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Author(s):
SUNIL KUMAR,ANURAG PANDEY
Vol - 13, Issue- 8 ,
Page(s) : 11 - 27
(2022 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
प्रस्तुत लेख भारत में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर व्याप्त विभिन्न विचारों पर चर्चा करता है। लेख प्रमुख रूप से धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के उदय और प्रसार पर वाद विवाद करता है। भारत में धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत लेख का केंद्र है और इस कड़ी में नेहरू, गाँधी, अटल बिहारी बाजपाई एवं पंडित दीनदयाल के धर्मनिरपेक्षता पर विचारों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए ये जानने का प्रयास करता है के, “क्या भारत जैसे बहुलता वाले देश में धर्मनिरपेक्षता का मौजूदा सिद्धांत अपने उद्देश्यों में सफल रहा है या भारत को एक नए विचार की आवश्यकता है?‘‘
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