Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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भारतीय उपन्यास के उदभव की पृष्ठभूमि और विकास: एक समीक्षात्मक अध्ययन

    1 Author(s):  RAJNEESH KUMAR YADAV

Vol -  5, Issue- 1 ,         Page(s) : 36 - 50  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

उपन्यास ऐसी कला है जिसमेंं मनुष्य सामाजिक और एतिहासिक दृषिट से निरूपित होकर सामने आता है- मिशेल जेरोफा। उन्हीं समाजों में उपन्यास का विकास होता है जहाँ सित्रयों का स्थान ऊँचा हो और व्यकितगत जिन्दगी में लोगाें की गहरी दिलचस्पी हो - मादाम स्तेल। निशिचत रूप से ये दोनों कथन उपन्यास की विशेषता और आवश्यकता की ओर संकेत करते हैं। उपन्यास क्या है? और उपन्यास क्यों? इन दोनों सवालों पर विचार करने की आवश्यकता है। उपन्यास वह गध रूप है जिसे आधुनिक युग का महाकाव्य कहा जाता है।

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  1. साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका-डाॅ. मैनेजर पाण्डेय, हरियाणा साहित्य अकादमी- पंचकूला, 2006।
  2. The Novel in India: T.W. Clark - It birth and development, London, George Allen & Unwin LTD
  3. Realism and Reality मीनाक्षी मुकर्जी
  4. आलोचना-84, जनवरी, 1988।
  5. मराठी साहित्य: परिदृश्य-चंद्रकांता वांदिवेडकर, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली।
  6. भारतीय साहित्य का समेकित इतिहास-सं. डाॅ. नगेन्द्र, हिन्दी माध्यम कार्यान्वयन, निदेशालय, नई दिल्ली।
  7. हिन्दी उपन्यास का विकास-मधुरेश, सुमित प्रकाशन, इलाहाबाद।
  8. तारीखे-अदब--ए-उर्दू-नुरूल हसन नक़वी, एजुकेशनल बुक हाउस, अलीगढ़-2010।
  9. हिन्दी साहित्य का वृहŸा इतिहास-नागरी प्रचारिणी सभा।

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