Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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अथर्ववेद में सांस्कृतिक पर्यावरण चेतना

    1 Author(s):  DR. RAMPHAL SHASTRI

Vol -  5, Issue- 1 ,         Page(s) : 55 - 60  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

वर्तमान समय में पर्यावरण अध्ययन और पर्यावरण विज्ञान का महत्व इतना बढ़ गया है कि वह प्रत्येक मनुष्य के जीवन का एक अंग बन गया है। आज विष्व के सभी देषों का ध्यान पर्यावरण समस्या की ओर है। पर्यावरण का विषय ज्वलंत समस्या के रूप में हमारे सामने उपसिथत हो गया है। वैदिक काल में प्रकृति और मानव का घनिष्ठ सम्बन्ध था। ज्यौ-ज्यौं भौतिकता व विज्ञान का विकास होता गया, मानव और प्रकृति के सम्बन्धों में गिरावट आती गई।

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1. ऋग्वेद चैखम्भा संस्कृत प्रतिष्ठान, बंगलो रोड़, जवाहर नगर, दिल्ली।
2. अथर्ववेद चैखम्भा संस्कृत प्रतिष्ठान, बंगलो रोड़, जवाहर नगर, दिल्ली।
3. वेदों में पर्यावरण संरक्षण यूनिक ट्रेडर्स, जयपुर।
4. पर्यावरण समस्या एवं     न्यू भारत पब्लिकेषन, गंगा काम्पलेक्स, सुभाष रोड़, रोहतक  समाधान

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