Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 137    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

आलोचना का उद्भवः संस्कृत साहित्य के सन्दर्भ में

    1 Author(s):  PRATIBHA TIWARI

Vol -  12, Issue- 11 ,         Page(s) : 11 - 21  (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

आलोचना का आरम्भिक स्वरूप संस्कृत साहित्य में बहुत पहले से मिलने लगता है । किन्तु आज हमारे पास उपलब्ध ग्रन्थ आचार्य भरत का नाट्यशास्त्र है । आचार्य भरत ने अपने वृहत् नाट्यालोचन ग्रन्थ नाट्यशास्त्र में नाटक के विभिन्न तत्त्वों पर विचार किया है । इस प्रौढ़ वैचारिक विवेचनयुक्त ग्रन्थ का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि आलोचना की यह परिपाटी इससे भी पुरानी है । नाट्यशास्त्र के पहले भी काव्यशास्त्रीय परम्परा संस्कृत साहित्य में विद्यमान थी, किन्तु नाट्यशास्त्र के पहले लिखे ग्रन्थ आज अप्राप्य हैं ।

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details