Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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वेदों में नारी संक्षिप्त विश्लेषण
1 Author(s): SHIV KUMAR
Vol - 5, Issue- 3 , Page(s) : 23 - 28 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
देश की सामाजिक व्यवस्था एवं तत्सम्बन्धी दृष्टिकोण का वास्तविक मूल्यांकन नारियों की स्थिति एवं उनके विषय में प्रचलित धारणाओं के अध्ययन से पता चलता है कि वेदों में नारी का स्वरूप क्या है? उसकी स्थिति दयनीय थी या वह उच्च पद पर प्रतिष्ठित थी? इन सब प्रश्नों का समाधान वेदकालीन नारी विषयक मान्यताओं को स्पष्ट कर देता है। विवाह के पश्चात् स्त्री वधू रूप में पतिगृह में पदार्पण करती है। ऋग्वेद के एक मन्त्र में वधू को परिवार में सबसे उँचा स्थान दिया गया है-