Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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देश विभाजन और हिंदी सिनेमा

    1 Author(s):  KRISHNA KUMARI

Vol -  5, Issue- 5 ,         Page(s) : 67 - 73  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

भारत में सांप्रदायिकता और राष्ट्रवाद की बात देश-विभाजन को शामिल किये बिना नहीं की जा सकती| देश –विभाजन केवल भौगोलिक विभाजन नहीं था बल्कि विश्वास, समरसता और मनुष्यता का भी विभाजन था| तब नेहरु और जिन्ना ने शायद ही सोचा होगा की विभाजन इतना विध्वंसक होगा| विभाजन के फलस्वरूप आज देश आतंकवाद, धर्म, सांप्रदायिकता और राष्ट्रवाद के घालमेल से अलगाववाद जैसी समस्या से जूझ रहा है| इन समस्याओं से पाकिस्तान को बिल्कुल अलग नहीं रखा जा सकता|

  1. चन्द्रएसुभाषएसाम्प्रदायिकता साहित्य उपक्रम और इतिहासबोधएपृष्ठ.9
  2. चंद्राए विपिनएसांप्रदायिकतारूएक प्रवेशिकाएपृष्ठ.6
  3. अग्रवालएप्रह्लादएबाज़ार के बाज़ीगरएपृष्ठ.19
  4. अग्रवालएप्रह्लादएबाज़ार के बाज़ीगरएपृष्ठ.19
  5. पारखएजवरीमल्लएलोकप्रिय सिनेमा और सामाजिक यथार्थएपृष्ठ.230
  6. पारखएजवरीमल्लएसाझा संघर्षएसाम्प्रदायिक आतंकवाद और हिंदी सिनेमाएपृष्ठ.122
  7. ब्रह्मातज्यएअजयएूूूण्रंहतंदण्बवउ ष्नफरत में जन्मी मासूम प्रेम की कहानी पिंजरष्ए3ध्1ध्2013
  8. पारखएजवरीमल्लएसाझा संघर्षएसाम्प्रदायिक आतंकवाद और हिंदी सिनेमाएपृष्ठ.90 

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