Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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20वीं सदी के पुवाद्र्व में भारतीय नारी का षक्तिकरण
1 Author(s): DR. NUTAN RANI
Vol - 5, Issue- 9 , Page(s) : 10 - 13 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
इस षोध प्रबंध में षिक्षा को परिभाशित करते हुए भारत में प्रचाीन काल से लकर आधुनिक काल तक षिक्षा के विकास का अध्ययन किय गया है। इस उद्वेष्य की प्राप्तिज के लिए प्राचीन काल से 1950 ई0 तक के काल में षिक्षा के क्रमिक विकास के साथ-साथ भारत से सामाजिक एवं सांस्कृतिक इतिहास का भी अध्ययन किया गया है। प्रारंभिक युग में स्त्री षिक्षा प्रमुख रूप से पाँच करकों से प्रभावित हुआ, जिसमें धार्मिक,सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक एवं बाहा कारण प्रमुख थे। इस अध्याय के विष्र्लेशणात्मक अध्ययन से निश्कर्श निकलता है। कि प्रारम्भ्कि काल में स्त्री षिक्षा पर धार्मिक एवं सामाजिक कारकों का सर्वाधिक प्रभाव था। षिक्षा का एक मात्र साधन व श्रोत धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन ही था। स्त्री की सामाजिक स्थिति प्राचीन काल में अत्यंत सुद्वढ़ थी। उसे पुरूशों के समान अधिकार व सम्मान प्राप्त था। मध्ययुग में कुरीतियों के प्रभाव से नारी षिक्षा के मार्ग में बाधाऐं आई। पुनः युग बदला, साथ ही षिक्षा पद्वति परिवर्तित हुई। आधुनिक युग में समाज सुधारकों व मिषनरियों के प्रयास से स्त्रियों के षिक्षा के क्षेत्र में महान का्रंति परिलक्षित हुई।