Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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पुराणों में भरतखण्ड

    1 Author(s):  RAMAVTAR MEENA

Vol -  5, Issue- 10 ,         Page(s) : 3 - 10  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

संपूर्ण विश्व में भारत वर्ष की भौगोलिक सामाजिक सांस्कृतिक धार्मिक आध्यात्मिक दार्शनिक और प्राकृतिक सौन्दर्य की प्रतिष्ठा मानी जाती है। यहाँ पर गंगा.यमुना का सौन्दर्यए पार्वती जी की शोभाविधेयए जनकादि का जीवनदर्शनए मनु आदि की धर्मपरायण जीवनधारणाए याज्ञवल्क्य आदि के जीवन उपदेश मानवता को पूर्ण बनाते हैं। वास्तव में हमारा भारतवर्ष बहुत विलक्षण हैए और भारतवर्ष यह नाम कैसे हुआ इस विषय में अनेक मत स्वीकार किये गये।

  1. "श्नवयोजनसाहस्रो विस्तारोऽत्र महामुने ।  कर्मभूमिरियं स्वर्गमपवर्गञ्च गच्छताम् ॥" विष्णु पुण् २/३/
  2. अग्निपुराण १०८/१ ब्रह्म पु १८/११
  3. कूर्मपुराण १/४६/१०
  4. पद्मपुराण आदिपर्व ६/५३/६१
  5. विष्णुपुराण ११/३/१४
  6. स्कन्दपुराण ३/२/३५/३७
  7. ष्प्रियव्रतस्य पुत्रैस्तैरू स्वायंभुवस्य च । १/२/१४/६ ब्रह्मा पु
  8. ५/७/३. भागवत महापुराणए
  9. "श्एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनरू।  स्वं.स्वं चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्वमानवारू॥" म० स्मृति० द्वि०अ० २० श्लोकए
  10.    ३५/५२ वा०पुराण
  11.    मत्स्यपुराण ११४/६
  12.    विष्णु पु० २/३/१
  13.    उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद्भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिरू॥. वा०पु०
  14.    अध्या० ११४/७-८
  15.    अध्या० ११४/२०
  16.    १३/५७
  17.    २/३/४/

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