Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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रासो साहित्य की प्रामाणिकताः एक प्रश्न
1 Author(s): HARGIAN
Vol - 5, Issue- 11 , Page(s) : 7 - 15 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
अत्यन्त आश्चर्य का विषय है कि ’’हिन्दी साहित्य का सर्वप्रथम इतिहास एक फ्रांसिसी विद्वान ’’गार्सा-दा-तासी’’ ने सन् 1839 में इस्तवार ’’द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी’’ नाम से लिखा। इसके बाद जार्ज ग्रियर्सन मिश्र बन्धु, शिव सिंह सेगर व आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास की आत्म-मंथन कर अभिव्यक्ति की। आदिकाल हिन्दी साहित्य का सबसे पहला काल है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इसे वीर गाथा काल का नाम दिया है। शुक्ल जी के अनुसार इसका समय सम्वत् 1050 से सम्वत् 1375 तक स्वीकार किया है। 8 वी0 शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात भारत वर्ष में कोई ऐसा सुदृढ़ शासक न रहा जो सारे देश को एक सूत्र में बांध कर रख सकता। फलतः भारत वर्ष अनेक छोटे-छोटे राज्य खण्डों में विभाजित हो गया। ये राजा परस्पर राज्य विस्तार की इच्छा से तथा सुन्दर कन्याओं के स्वयंवरों में बड़े बडे़ युद्ध छेड़ बैठते।