Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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कबीर का रहस्यवादः- एक विवेचन

    1 Author(s):  HARGIAN

Vol -  5, Issue- 12 ,         Page(s) : 13 - 17  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

रहस्यवाद का विवेचन अत्यन्त मनोरंजन होने के साथ साथ दुःसाहय प्रतीत होता है। आत्मा और परमात्मा के अध्यात्मिक प्रेम में जीव की सारी इन्द्रियों का एकीकार रहस्यवाद की और इंगित करता है। अद्वैतवाद को रहस्यवाद का प्राण माना है। सूफीमत में शरियत, तरीकत, हकीकत और मारिफत आदि चार दशाएँ रहस्यवाद को अन्जाम तक ले जाती है। सूफीमत के अनुसार मारीफत में जाकर आत्मा-परमात्मा का मिलन होता है।

  1.    हिन्दी साहित्य युग और प्रवृतियाँ स0 डाॅ0 शिवकुमार शर्मा प्र0 अशोक प्रकाशन, नई सड़क दिल्ली संस्करण पन्द्रहवाँ, 1996 पृ0स0 139
  2.    कबीर का रहस्यवाद स0 डा0 रामकुमार वर्मा प्र0 द्वारकानाथ भार्गव, इलाहाबाद-3 संस्करण-1961, पृ0स0 110
  3.    कबीर (सटीक) हजारी प्रसाद द्विवेदी अनीता प्रकाशन नई सड़क सस्करण-नवीनतम दिल्ली पृ0 स0 120
  4.    कबीर स0 आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी प्र0 राजकमल प्रकाशन दिल्ली- 6 सस्करण प्रथम 1971 पृ0 स0 262
  5.   कबीर ग्रंथावली डाॅ0 श्यामसुंदरदास प्र0 नागरीप्रचारिणी सभा, काशी स0 तेरहवां सम्वत् 2032 पृ0स0 14
  6.   कबीर हजारी प्रसाद द्विवेदी प्र0 राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली स0 प्रथम 1971 पृ0 स0 349
  7.   हिन्दी साहित्य युग और प्रवृतियाँ स0 डा0 शिवकुमार शर्मा प्र0 अशोक प्रकाशन नई सड़क दिल्ली संस्करण-पन्द्रहवाँ 1996 पृ0स0-141
  8.   कबीर स0 डा0 बलदेव वेशी प्र0 प्रकाशन संस्थान, दरियागंज नई दिल्ली स0 2005 पृ0 स0 33

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