Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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सौलहवीं सदीं में भारतीय संस्कृति का केन्द्र मेवाड़
1 Author(s): DR. DHARMVEER VASHISTHA
Vol - 6, Issue- 7 , Page(s) : 9 - 14 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
राष्ट्रीय स्वाभिमान, पराक्रम एवं सांस्कृतिक चेतना में मेवाड़ सौलहवीं सदी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। यह महाराणा सांगा (1509 ई. से 1527 ई.) उदयसिंह (1537-1572 ई.) और महाराणा प्रताप (1572-1597 ई.) का काल साहस व पराक्रम के साथ ही सांस्कृतिक चेतना की प्रेरक भक्त मीरा बाई के कृष्ण भक्ति शाखा में सरोबार होने से यहां भागवद्, गीत गोविन्द जैसे अनेक सचित्र सम्पुटों व शास्त्र रचनाओं के प्रणयन में अग्रणी रहा जो राजस्थान के लिए ही नहीं अपितु पूरे भारत का महत्वपूर्ण काल रहा है। इस काल में देहली, जौनपुर आदि क्षेत्रों में हिन्दू कला संरक्षक शासक कोई नहीं था। ग्वालियर में तोमर शासकों का राज्य 16 वीं सदी के प्रथम चरण में समाप्त हो गया था।