Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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यशपाल के उपन्यासों में स्त्री-चेतना

    1 Author(s):  SANTOSH KUMAR SINGH

Vol -  6, Issue- 9 ,         Page(s) : 34 - 37  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

यशपाल पर प्रायः यह आरोप लगता है कि उनका पूरा साहित्य मावर्सवाद का अनुवाद मात्र हैं। किंतु उनके उपन्यासों की स्त्री पात्रों को देखने पर भारतीय समाज में यशपाल जी की सूक्ष्म दृष्टि का पता चलता है। यशपाल के उपन्यास ष्दाद कामरेडष् की शैलबाला, यशोदा, जमीला, फ्लोरा व नैनसी स्त्री चेतना की वाहक हैं। इन स्त्री - पात्रों में शैलबाला सबसे अधिक प्रखर व मुखर है। शैलबाला किसी भी प्रकार का दबाव सहन नहीं करती। वह निःसकोच समाजिक कार्यों में हिस्सा लेती हैं। यशोदा शैलबाला से प्रभावित है। यशोदा, शैलबाला से प्रेरित होकर समाजिक कार्यों में भाग लेने लगती है।

1.यशपाल, २दादा कामरेड‟ए सं0 आनन्द, यशपाल रचनावली, 2007, लोकभारती प्र0, पहला ख्ंाड, पृ0 सं0 29
2.यशपाल, २देशद्रोही‟ए सं0 आनन्द, यशपाल रचनावली, 2007, लोकभारती प्र0, पहला खंड पृ0 सं0 195
3.यशपाल, २गीता‟ए सं0 आनन्द, यशपाल रचनावली, 2007, लोकभारती प्र0, पहला खंड, पृ0 सं0 392
4.यशपाल, २दिव्या‟ए  सं0 आनन्द, यशपाल रचनावली, 2007, लोकभारती प्र0, पहला खंड, पृ0 सं0 55
5.यशपाल, २दिव्या‟ए  सं0 आनन्द, यशपाल रचनावली, 2007, लोकभारती प्र0, पहला खंड, पृ0 सं0 71
6.यशपाल, २अप्सरा का शाप‟एसं0 आनन्द, यशपाल रचनावली, 2007, लोकभारती प्र0, पहला खंड, पृ0 सं0 403
7.यशपाल, २अप्सरा का शाप‟ए सं0 आनन्द, यशपाल रचनावली, 2007, लोकभारती प्र0, पहला खंड, पृ0 सं0 408

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