Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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उत्तर आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में कला साहित्य और समाज का समन्वय
1 Author(s): MANJU PATEL
Vol - 1, Issue- 1 , Page(s) : 27 - 35 (2010 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
उत्तर आधुनिकता एक दृष्टि में- इन प्रयोगों के अनुसार ‘आधुनिकता’ का तात्पर्य था हाल के अतीत का त्याग करना, एक नई शुरुआत का पक्ष लेना और ऐतिहासिक मूल की पुनस्र्थापना करना, इसके अलावा ‘आधुनिकता’ और ‘आधुनिक’ के बीच अंतर 19वीं सदी (2007 देलान्टी) तक नहीं उभरा था। मार्शन बर्मन की एक पुस्तक (बर्मन 1983) के अनुसार आधुनिकता को तीन पारम्परिक चरणों में वर्गीकृत किया गया है (जिसे पीटल ओसबोर्न द्वारा क्रमशः ‘आरम्भिक’, ‘शास्त्रीय’ और ‘उत्तर’ कहा गया है (1992):