1. द्रष्टव्य, पाठक, विश्वम्भरशरण - ऐंसिएण्ट हिस्टोरिएन्स आॅफ इण्डिया, एशिया पब्लिसिंग हाउस, बम्बई,
1966; शर्मा,गोवधर््ान राय-भारतीय संस्कृति: पुरातात्त्विक आधार, नेशनल पब्लिशिंग, नई दिल्ली, 1985 ; तथा विस्तार के लिए द्र0 त्रिपाठी,माता प्रसाद: कोशल-मगध-क्षेत्र के पुरावैदिक सूत्र (विशेष व्याख्यान)-भारतीय इतिहास-लेखन समस्यायें एवं परिप्रेक्ष्य, सं0अजय कुमार पाण्डेय, 2004
2. महामहोपाध्याय डाॅ0 गोपीनाथ कविराज का समग्र कृतित्त्व ही पठनीय है-विशेषतः द्रष्टव्यः तांत्रिक वाघ्मय में शाक्तदृष्टि तथा भारतीय संस्कृति और साधना(दो भागों में)-सभी बिहार राष्ट्रभाषा प्रकाशन, पटना से प्रकाशित।
3.विस्तार के लिए द्रष्टव्य, सर जाॅन ऊड्रफ: शक्ति एण्ड शाक्त, मद्रास (पाँचवाँ संस्करण), 1959
4. ऊड्रफ, तत्रैव, पृ0 490
5. तत्रैव, पृ0 490 एवं आगे।
6. तत्रैव, पृ0 131
7. गोभिल गृह्मसूत्र 1.2.5, तैत्तिरीय आरण्यक-प्प्ण्11य महानिर्वाण तन्त्र, अध्याय-5 ;
8. ऐतरेय आरण्यक, प्प्ण्2ण्1ण्2यप्प्2ण्5ण्2;ऋग्विधन ब्राह्मण-प्प्ण्16य
9. ऋग्वेद .प्प्प्ण्62ण्10य
10. तैत्तिरीय आरण्यक प्टण्27य शतपथ ब्राह्मण प्ण्5ण्2ण्.18य प्ण्3ण्3ण्14य प्7ण्2ण्11.14य प्ण्7ण्2ण्21य
ग्प्ण्2ण्2ण्3 एवं 5; महानिर्वाण तन्त्र, अध्याय-3; अन्य प्रयोजनों के लिए द्रष्टव्य ऐतरेय ब्राह्मण प्प्ण्3ण्6य
तथा प्प्ण्5ण्5
11. त्रिपाठी, माता प्रसाद: ऋग्वेद में शक्ति: विविध रूपों में प्रसार-अभिव्यक्ति ऋतावरी, अंक-4 (2003द्ध,
गोरखपुरपृ0-1-13
12. ऊड्रफ के ग्रन्थ ‘शक्ति एण्ड शाक्त’ का चैबीसवाँ अध्याय, शक्ति एज मंत्र’ के विश्लेषण हेतु ‘मंत्रमयी
शक्ति रूप मेंउद्घाटित है।
13. लाट्यायन श्रौतसूत्र, 5.4.11; कात्यायन श्रौतसूत्र, 19.1 शांखायन श्रौतसूत्र- 15.15; 24.13.4;
शतपथ ब्राह्मण-5.1.2.12; 5.1.5.28; 12.7.3.14 इत्यादि। आपस्तम्ब श्रौतसूत्र-18.1.9
14. द्रष्टव्य, उपाध्याय, आचार्य बलदेव- बौद्व-दर्शन-मीमांसा, पृ0-315-317, चैखम्बा, वाराणसी, 1970
15. ऊड्रफ, तत्रैवपृ098 एवं आगे।
16. शतपथ ब्राह्मण-ग्प्.6.2.10 ; शतपथ ब्राह्माण के कतिपय अन्य सन्दर्भ भी द्रष्टव्य है। यथा-प्प्प्.2.1.2
आदि।
17. शतपथ ब्राह्मण, टप्.5.3.5
18. ऐतरेय ब्राह्मण, प्प्.5.3;
19. तत्रैव , प्प्प्.5.4;
20. तत्रैव, ट.3.1;
21. शाखायन श्रौतसूत्र, ग्प्प्ण्24ण्1.10य अथर्ववेद, ग्ग्ण्136य ऐतरेय ब्राह्मण, टप्प्ण् 2.9य
22. विस्तार के लिए द्रष्टव्य, शक्ति एण्ड शाक्त, पृ0-100
23. उपाध्याय, बलदेव, वही
24. तत्रैव।
25. तत्रैव।
26. तत्रैव उद्वृत।
27. पाठक, विश्वम्भरशरण- ब्राह्मण समाजः एक ऐतिहासिक अनुशीलन (लेखक-देवेन्द्रनाथ शुक्ल) की
भूमिका।