Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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महाभारत में वर्णित गान्धारी-’एक चित्रण’

    1 Author(s):  DR. JAHAN ARA

Vol -  7, Issue- 10 ,         Page(s) : 21 - 24  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति में सृष्टिकाल से ही स्त्री जाति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। स्त्री के बिना सृष्टि की कल्पना असम्भव है। देखा जाए तो सम्पूर्ण समाज के निर्माण में स्त्री पुरुष से भी अधिक महत्व रखती है क्योंकि वह ममता एवं त्याग की प्रतिमूर्ति होती है। ऐसी स्थिति में महाभारत जैसा विशालकाय ग्रन्थ स्त्री के वर्णन से कैसे अछूता रह सकता है। इस ग्रन्थ में नारी के विविध रूपों का सम्यक रूप से वर्णन हुआ है यद्यपि महाभारत में पुरुष पात्रों के समान ही स्त्री चरित्रों की भरमार है तथापि उनमें भी कुछ ऐसे पात्र हैं कि उन पर महाभारत का मूल कथानक उस पर आश्रित है। इन्हीं महत्वपूर्ण स्त्री पात्रों में गान्धारी का चरित्र महिमा के पात्र है। इस गन्थ में यह पत्नी, पुत्री, माता एवं अपूर्व तपस्विनी स्त्री के आदर्श रूप में हमारे समक्ष उपस्थित होती हैं । ये धीर, गम्भीर एवं समदर्शी आदर्श भारतीय नारी है।

1. महा0 आदिपर्व- 109/13-15
2. महा0- सभापर्व- 75/10
3. महा0-स्त्रीपर्व - 16/1-16
4. वही- 7/29
5. वही 25/44-45

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