Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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संत नितानंद जी की वाणी में लोक तत्त्व

    1 Author(s):  DR. BABITA TANWAR

Vol -  7, Issue- 11 ,         Page(s) : 5 - 12  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

‘लोक’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत में ‘लोक दर्शन’ धातु में ‘घ´्’ प्रत्यय लगाने से होती है जिसका अर्थ है - देखना। इसका लट् लकार-अन्य पुरूष, एकवचन रूप हुआ - लोकते। इस तरह इसका अर्थ हुआ - देखने वाला। अतः वह जन समूह जो इस क्रिया को करता है लोक कहलाता है।1 संक्षिप्त हिन्दी-अंग्रेजी कोश में लोक का अर्थ - फोक, पीपल, वल्र्ड और पब्लिक दिया है।2 ‘अंग्रेजी-हिन्दी कोश’ में पीपल, पब्लिक शब्द सर्वसाधारण, सामान्य जन एवं प्रजा के लिए प्रयुक्त हुए हैं।3 हिन्दी साहित्य कोश में लोक के लिए दो अर्थ प्राप्त होते हैं - त्रिलोक तथा चतुर्दश लोक, जो आम आदमी का ही आभास कराते हैं क्योंकि इसका दूसरा अर्थ जनसामान्य किया गया है।4 भार्गव हिन्दी-अंग्रेजी कोश में उपर्युक्त शब्दों के साथ काॅमन, पब्लिक और सोसायटी आदि जोड़ दिया है।5 अतः लोक शब्द का पर्यायी पब्लिक, काॅमन पब्लिक ही मानना चाहिए क्योंकि यही शब्द आम जनता, सर्वजन, सर्वसाधारण, सर्वसमूह इत्यादि के लिए प्रयुक्त हुआ है। उपर्युक्त शब्द का विवेचन करते हुए हम कह सकते हैं

1 सम्पा0 राहुल सांकृत्यायन, हिन्दी साहित्य का वृहत् इतिहास, भाग -26, सं0 2028, पृष्ठ 01
2 सम्पा0 डाॅ0 भोलानाथ तिवारी एवं महेन्द्र चतुर्वेदी, संक्षिप्त-हिन्दी-अंग्रेजी कोश, सं0 1968, पृष्ठ - 271
3 सं0 फादर कामिल बुल्के, अंग्रेजी-हिन्दी कोश, सं0 1972, पृष्ठ 424, 476
4 सं0 धीरेन्द्र वर्मा, हिन्दी साहित्य कोश, सं0 2020 पृ0 676
5 सं0 रामचन्द्र पाठक, भार्गव स्टैण्डर्ड इलियस्टेªटिड़ डिक्शनरी, सं0 1965, पृ0 969
6 सत्य सिद्धान्त प्रकाश मन का अंश, पृ0 154
7 वही0 कामी का अंग, पृ0 201
8 वही0 साध का अंग, पृ0 242
9 वही0 पतिव्रता का अंग, पृ0 101
10 वही0 चेतावणी का अंग, पृ0 118
11 वही0 सुमरन का अंग, पृ0 18
12 वही0 सुमरन का अंग, पृ0 22
13 वही0 चेतावणी का अंग, पृ0 138
14 वही0 राग होरी शब्द, पृ0 446
15 वही0 विरह का अंग, पृ0 36
16 वही0 कामी का अंग, पृ0 202
17 वही0 सुमरन का अंग, पृ0 19
18 वही0 साध का अंग, पृ0 243
19 वही0 साच कर अंग, पृ0 213
20 वही0 चेतावणी का अंग, पृ0 119
21 वही0 चेतावणी का अंग, पृ0 111
22 वही0 चेतावणी का अंग, पृ0 121

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