Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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भारत में आधुनिक राष्ट्रवाद के उद्भव में ब्रिटिश आर्थिक साम्राज्यवाद व आर्थिक राष्ट्रवाद की भूमिका

    2 Author(s):  ANUJ TYAGI, DR. RAJESH GARG

Vol -  1, Issue- 1 ,         Page(s) : 47 - 55  (2010 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

औपनिवेशिक भारत में होने वाले आर्थिक परिवर्तनों के बारे में भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की स्पष्ट समझ उन्नीसवी सदी के उत्तरार्द्ध के दौरान ही विकसित होती है और सम्भवतः यह औपनिवेशिक विश्व में पहला अवसर था जबकि भारतीय औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की इतनी प्रभावपूर्ण तरीके से व्याख्या की गयी थी। साथ ही यह भी बताया गया कि औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था का अल्पविकास और आर्थिक गतिरोध से क्या सम्बन्ध है। परिणाम स्वरूप भारत के आर्थिक पिछडेपन को दूर करने के लिए राष्ट्र- वादियों द्वारा एक व्यापक आर्थिक रणनीति का विकास किया गया ं

1. हंसार्ड, (चतुर्थ वर्ग), खण्ड-27, लगभग-1135
2. नौराजी, पावर्टी, पृ0-1
3. नौरोजीः पावर्टी, पृ0-188, उनके ‘एसेज’ भी पृ0 98, स्पीचेज, पृ0 591
4. बाचाः सी0पी0ए0, पृ0-598
5. कर्जनः स्पीचेज, खण्ड-तृतीय, पृ0-180
6. दत्तः सी0पी0ए0, पृ0-477, एस0एन0 बनर्जी: सी0पी0ए0, पृ0-684
7. कर्जनः स्पीचेजः खण्ड -तृतीय, पृ0 160
8. दत्तः ई0एच0 प्रथम, पृ0 8, 261
9. आई0एन0सी0, 1896 का प्रस्ताव-12
10. ‘‘प्रधान खण्ड भागवत’’ में तिलक ने कहा पृ0 63-64,
11. बी0सी0पाल ‘‘द नेशनल प्राब्लम्स’’ पृ0 186
12. मराठा- 9 अगस्त 1885, 22 सितम्बर 1895, रानाडे एसेज, पृ0- 120, 180 
13. आई0एन0सी0, 1886 का प्रस्ताव द्वितीय तथा बाचाः रिप0 आई0 एन0सी0, 1886 पृ0-60
14. कर्जनः स्पीचेज खण्ड- तृतीय, पृ0-134, एलगिनः स्पीचेज, पृ0 489
15. जी0एस0 अय्यर ‘‘दि विक्टरी आॅन द इकाॅनोमिक कंडीशंस आॅफ इंडिया’’ पृ0 445-47
16. मराठा 11 सितम्बर, 1891
17. 1896 का प्रस्ताव 3 तथा 13, 1899 का 13, 1901 का 8
18. गोखले- ‘स्पीचेज’ पृ0 70
19. डी0ई0 वाचाः ‘‘दि इकोनोमिक हेरेसीज आॅफ दि स्वदेशी मूवमेन्ट’’ ‘‘कैसर ए हिन्द’’ 8 मार्च 1896
20. बंगवासी-2 मई 1891 तथा संजीवनी 14 नवम्बर, 1901
21. परिमलरायः ‘‘इडियाॅज फोरन ट्रेड सिंस 1870’’ और इंपीरियल गजट आॅफ इण्डिया, खण्ड तृतीय (1908)
22. जाॅन स्ट्रैचेः ‘इण्डिया’, (1903) पृ0 186
23. रानाडेः ‘एसेज’, पृ0 184
24. नौरोजी: ‘एसेज’, पृ0 113 और पृ0 112-5
25. नौरोजी: स्पीचेज, पृ0 341
26. होरेस बैलः ‘‘रेलवे पाॅलिसी इन इंडिया’’ (लंदन 1897), जैक्स, ‘‘दि इंपीरियल गजेटियर आॅफ इण्डिया’’ खण्ड तृतीय
27. ‘‘इंपीरियल गजेटियर आॅफ इण्डिया’’ खण्ड चतुर्थ 
28. जी0एस0अय्यरः ‘‘इण्डियन पाॅलिटिक्स’’ पृ0 193
29. नौरोजीः पावर्टी, पृ0-93
30. भारत मिहिर 13 मई, 1884, जी0एस0 अय्यरः ‘‘इण्डियन पाॅलिटिक्स’’, पृ0-181
31. एस0एन0बनर्जीः स्पीचेज-1, पृ0 202
32. मराठा, 28 अगस्त, 18 सितम्बर 1881, नेटिव ओपीनियन 28 अगस्त 1881
33. दत्तः स्पीचेज-2 पृ0 90
34. आई0एन0एस0 प्रस्ताव-3 (1891)
35. इण्डियन स्पेक्टेटर 11 और 18 सितम्बर 1881
36. जे.पी.एस.एस. जुलाई 1879 (खण्ड-2 सं0-1)
37. आर0एन0 मुधोलकर: ‘‘इण्डियन पाॅलिटिक्स’’ पृ0 39
38. नौरोजीः एसेज, पृ0 19, 20
39. आर0एन0पी0 बंग 4 अप्रैल 1403
40. दत्तः स्पीचेज पृ0 52-57
41. दत्तः स्पीचेज पृ0-61
42. नौरोजी: पावर्टी, पृ0 41-42
43. अरूणोदय - 15 मई 1881
44. गोखले: स्पीचेज, पृ0 107

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