Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
विकास की डगर गाँव
1 Author(s): DR. SUDHANSHU KUMAR SHUKLA
Vol - 8, Issue- 2 , Page(s) : 15 - 17 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
भौतिकवादी संस्कृति केवल चमक.दमक और चौंकाने वाली है, जिससे केवल हम स्वार्थ सिद्धि तो कर लेते हैं, परंतु वह क्षणिक ही होती है। यही कारण है कि कंकरीट साम्राज्य के बढ़ते.फूलते भी हम असंतोष, तनाव, बिखराव और अलगाव की स्थिति में पनप रहे हैं। हर व्यक्ति स्वार्थ सिद्धि हेतु शहरों की ओर भागा चला जा रहा है। वह समझता है कि शहर और महानगर ही विकास की डगर हैं। वह गाँव से पलायन करके छोटी.मोटी जीविका साधन जुटाने के लिए महानगरों की ओर भाग रहा है।