Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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भारतीय साहित्य में नारी और प्रेम

    1 Author(s):  POONAM DEVI

Vol -  8, Issue- 10 ,         Page(s) : 5 - 10  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

किसी भी संस्कृति की विशिष्टता एवं उसकी सीमा को जानने के लिए नारी की स्थिति का अवलोकन करना बेहद आवश्यक है। हमारी सभ्यता के शुरू से आज तक नारी इतिहास के पन्नो पर नक्षत्र कि तरह टिमटिमाती रही है। आदि काल से ही नारी समाज कि रचना में पुरुष के साथ अंग बन कर रही है।

  1. हिन्दू दृ शतकम् डॉ. दीनबन्धु चंदोरा,  पृ.१०५
  2. मनुस्मृति ३/५६
  3. भारतीय नारी के विविध आयामए डॉ. चंद्रमोहन अग्रवाल
  4. नारी एक विवेचनए पृ.५/२
  5. कुमारसम्भव (५/२)
  6. सुन्दरकाण्ड (५/२६/१०)
  7. संस्कृत सहित्य का इतिहास बलदेव उपाध्याय पृ. १४३
  8. बृहद्देवता,  २८२
  9. ऋग्वेदभाष्य -  उपोद्घात
  10. साधन.सुधा.सिन्धु स्वामी रामसुखदास अ. ५ पृ. १०३
  11. संस्कृत.हिंदी.शब्कोष

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