Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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आचार्य भिखारीदास और उनका काव्य

    1 Author(s):  KRISHNA KUMAR

Vol -  9, Issue- 4 ,         Page(s) : 11 - 15  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

संस्कृत साहित्य में भरत का नाट्यशास्त्र ही वह प्रधान भाव स्रोत है, जिसके रस सिद्धांत से और रस की परिभाषा में प्रभावित होकर सभी अनुगामी साहित्य शास्त्रियों ने अपने-अपने सिद्धांत संप्रदायों की पुष्टि की | यद्यपि कुछ आचार्यों ने अपने विभिन्न संप्रदाय भी परिवर्तित किए तथापि भरत ने रस का जो पुष्ट आधार प्रतिष्ठित किया | उसके प्रभाव से कोई भी मुफ्त ना रह सका इसलिए आचार्य भिखारीदास का जीवन वृत्त रचनाएं तथा रचना काल का विवरण संस्कृत साहित्य की परंपरा के साथ विस्तृत रूप से देखा और समझा जा सकता है |

  1. हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास श्यामसुन्दर दास
  2. मिश्र्बंधुविनोद मिश्रबंधु
  3. काव्य निर्णय भिखारीदास

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