Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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जीने का मंत्र − 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' कहानी संग्रह
1 Author(s): DR. SUDHANSHU KUMAR SHUKLA
Vol - 10, Issue- 2 , Page(s) : 11 - 15 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
अमेरिका की भव्य और पावन धरती पर लगभग 25 वर्षों से रह रहीं, भारतीय मेधा और राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका श्रीमती नीलू गुप्ता जी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। प्रवासी साहित्यकार जिस प्रकार का लेखन कर रहे हैं, निश्चित रूप से सराहनीय हैं। आज के दौर में स्त्री-विमर्श, दलित-विमर्श, किन्नर-विमर्श, अल्पसंख्यक-विमर्श आदि विषयों से भरी चेतना साहित्य में देखने को मिलती है। ऐसे समय में जहाँ तनाव, बिखराव, अलगाव, एकाकीपन, पर-पुरूष संबंध आदि की चर्चा हो रही हो, तब एक संजीवनी की तरह जुड़ने-जोड़ने, नकारात्मकता में सकारात्मक की दृष्टि दे, ऐसी साहित्यकार, ऐसी लेखिका बहुत समय के उपरान्त देखने को मिली हैं। प्रेमचंद के आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद की दृष्टि उनके कहानी संग्रह 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' में देखने को मिलती है।