Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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शिवराजविजय का साहित्यिक मूल्यांकन

    1 Author(s):  PARMANAND KUMAR

Vol -  10, Issue- 8 ,         Page(s) : 17 - 22  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

देववाणी संस्कृत भाषा में समुपलब्ध सभी ग्रन्थों में ‘शिवराजविजय’ का महत्त्व सर्वातिशायी है। पण्डित अम्बिकादत्त व्यास ने इस उपन्यास में महाराष्ट्र साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी का चरित्र प्रदर्शित किया है। मुगलशासकों को उखाड़ फेंकने की कथा को इस काव्य में तीन विरामों और बारह निःश्वासों में समाप्त की गई है। गिरती हुई परम्परा, यवनों का दुराचार, भारतीयों की सहिष्णुता आदि का चलचित्रवत् प्रदर्शन है। इसमें शिवाजी को नायक, रघुवीर सिंह को उपनायक, औरंगजेब को प्रतिनायक, जयसिंह को देशद्रोही सौवर्णी को भारतीय रमणी के रूप में दिखाया गया है। इस उपन्यास में राष्ट्रभावना, संस्कृति-सभ्यता, एकता, अखण्डता आदि पर अधिक जोर दिया गया है।

1. शुकनासोपदेश (भूमिका), मोहनदेवपन्त, मोतीलाल बनारसीदास, वि॰सं॰-2031, पृ॰ 9
2. हर्षचरित, मोहनदेवपन्त, मोतीलाल बनारसीदास, द्वि॰सं॰-2014, पृ॰ 10
3. संस्कृत साहित्य में राष्ट्रीय भावना, डाॅ॰ हरिनारायण दीक्षित, इ॰बु॰लि॰, द्वि॰सं॰-2006, पृ॰ 136
4. वही, पृ॰ 167
5. वही, पृ॰ 204
6. वही, पृ॰ 206
7. वही, पृ॰ 207
8. वही, पृ॰ 239
9. वही, पृ॰ 247
10. शिवराजविजयः, डाॅ॰ वाचस्पतिमिश्र, चै॰सु॰प्र॰, 2018 ई॰, पृ॰ 36
11. काव्यादर्श, आचार्य रामचन्द्र मिश्र, चैखम्बा विद्या भवन वाराणसी, 2003, पृ॰ 35
12. शिवराजविजयः, डाॅ॰ वाचस्पतिमिश्र, चै॰सु॰प्र॰, 2018 ई॰, पृ॰ 10
13. वही, पृ॰ 50
14. काव्यप्रकाश, डाॅ॰ नरेन्द्र, ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी 2013, पृ॰ 10

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