Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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पाणिनीय व्याकरण में विभाषा का स्वरूप
1 Author(s): AVDHESH KUMAR
Vol - 4, Issue- 3 , Page(s) : 117 - 121 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
“व्याक्रियन्ते विविच्यन्ते शब्दा अनेनेति व्याकरणम् ” शब्दों का विवेचन करने वाला शास्त्र व्याकरण है। आचार्य पतञ्जलि ने षडङ्गों में व्याकरण को प्रधान माना है और तद्विषयक यत्न को फल देने वाला कहा है-