Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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श्रीमदभगवद्गीता का महर्षि मेँ हीँ पर प्रभाव
1 Author(s): DR. HARI KISHOR ARYA
Vol - 10, Issue- 5 , Page(s) : 20 - 23 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
वैदिक संस्कृति के सार-स्वरूप गीता का माहात्म्य् वर्णन के परे है। सम्पूर्ण वेदों का सार गीता के सात सौ श्लोकों में संग्रह किया गया है। यह महाभारत का सारतम अंश है। इसकी भाषा अत्यन्त सरल है, भाव गम्भीर है। थोड़े अभ्यास से ही इसकी भाषा को समझा जा सकता है, परंतु अनवरत अभ्यास से भी इसके भावों का अन्त नहीं मिल पाता। अतः गहनतम भावों की सरलतम अभिव्यक्ति गीता की सबसे बड़ी विशेषता है। गीता के एक-एक शब्द में उपदेशामृत भरे हैं तथा रहस्य का सागर निहित है।