Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
आचारो हि परमो धर्मः” ’श्रीगीता-योग -प्रकाश’ के परिपेक्ष्य में।
1 Author(s): DR. HARI KISHOR ARYA
Vol - 10, Issue- 8 , Page(s) : 26 - 28 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
श्रीमद्भागवतगीता में दैवी सम्पदा और आसुरी सम्पदा को धारण करने वाले मनुष्यों का विवेचन है। महर्षि मेँहीँ कृत ’श्री गीता-योग-प्रकाश’ नामक पुस्तक के 16 वें अध्याय में बतलाया गया है कि दैवी सम्पदा के धारक और आसुरी सम्पदा के परित्याग कर्त्ता सदाचारी होते हैं।