Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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’मेघदूत ओ विद्यापति-पदावली’ मे आत्मनिष्ठ भावक अभिव्यंजन।
1 Author(s): DR MANORAMA BHARTI
Vol - 11, Issue- 6 , Page(s) : 11 - 15 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
कालिदासकृत मेघदूत ओ विद्यापति-रचित पदावली गीतिकाव्य जाज्वल्यमान रत्न थिक। गीतिकाव्य में काव्यशास़्त्रीय रूढ़ि आ परंपरा सँ मुक्त भऽ कऽ कवि आपन वैयक्तिक चेतना अओर आनन्दवेदनाकेर अभिव्यक्ति करैत छथिं, अतः गीति-काव्य महाकाव्यक अपेक्षा अधिक मनोरम भऽ जाइत अछि। स्वच्छन्द आत्म-गीति होयवा सँ गीतिकाव्य मे निरीक्षणक सूक्ष्मता एवं नवीनता, कल्पनाक कमनीयता, भावक सुकुमारता आ पद्यक हृदयहारिणी गेयताक अभिनव सामंजस्य उदित भऽ जाइत अछि।