Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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आधुनिकता-बोध के आधार पर 'आषाढ़ का दिन' का मूल्यांकनपरक विश्लेषण

    1 Author(s):  ADITYA PATHAK

Vol -  11, Issue- 10 ,         Page(s) : 11 - 13  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

साहित्यकार अपने समय में व्याप्त विसंगतियों को अपनी कृतियों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अवश्य चित्रित करता है ।एक सजग साहित्यकार युगीन परिवेश को कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं करता है।वह अपने समाज की परिस्थितियों का द्रष्टा होता है। हिंदी-साहित्य में ऐतिहासिक कृतियों की कमी नहीं रही है । किंतु,इनमें से कुछ कृतियाँ ही सफलता के शीर्ष पर पहुँची हैं।उनकी सफलता का प्रधान कारण है -युगीन समस्याओं का चित्रण ।इसी विशेष गुण से अनुप्राणित कृति है ‘आषाढ़ का एक दिन'।मोहन राकेश के प्रसिद्ध नाटकों में से यह एक है जिसमें आधुनिकता-बोध के साथ-साथ रोमांटिक भाव-बोध भी है।

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