Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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काव्यशास्त्र में “प्रतिभा-पदार्थ” की अवधारणा

    1 Author(s):  DR. RAMPHAL SHASTRI

Vol -  5, Issue- 1 ,         Page(s) : 27 - 35  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

प्रस्तुत शोधपत्र में काव्यशास्त्र में वर्णित “प्रतिभा-पदार्थ” के सारभूत विवेचन को समीक्षात्मकरूप से उपस्थित किया गया है। प्रतिभा काव्यरचना का मूल आधार होती है। इसके विना कव्य की रचना करना संम्भव नही है। इसके द्वारा ही कवि अपनी रचना को समाज के सामने प्रस्तुत करने में समर्थ होता है। काव्यशास्त्र में इसके महत्त्व पर सभी काव्यशास्त्रियों ने अपने विचार प्रस्तुत किये हैं जिनका सारसंक्षेप वर्णन यहाँ विद्यमान है।

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  1. लङ्लकारशास्त्र का इतिहास रू.  डा० कृष्ण कुमार ए साहित्य भण्डार मेरठ
  2. व्यालङ्लकार रू.   देवेन्द्र नाथ शर्माए बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्ण् पटना
  3. व्यादर्श रू. शिवनारायण शास्त्रीए परिमल प्रब्लिकेशन्सएदिल्ली
  4. व्यमीमांसा का शास्त्रीय अध्ययन रू. उमाशंङ्कर तिवारीए न्यु भारातीय बुक कोर्पोरेशनए दिल्ली
  5. न्यालोक  रू. आचार्य जगन्नाथपाठकए  चौखम्बा विद्याभवन ए वाराणसी ॥

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