Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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संस्कृत व्याकरणदर्शन को कौण्डभट्ट और शंकर शास्त्री का योगदान
1 Author(s): RAGHAVENDRA
Vol - 5, Issue- 5 , Page(s) : 39 - 48 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
आचार्य कौण्डभट्ट महावैयाकरण भट्टोजिदीक्षित के भतीजे हैं।इनके पिता का नाम रङ्गोजिभट्ट था। इन्होंनें अपनी कृतियों में अपने पिता के नाम का उल्लेख बडे आदर भाव के साथ लिया है। पाणिन्यादिमुनीन् प्रणम्य पितरं रङ्गोजिभट्टाभिधं द्वैतध्वान्तनिवारणादिफलिकांपुम्भाववाग्देवताम् । ढुण्ढिंगौतमजैमिनीयवचनव्याख्यातृभिदूषितान्। सिद्धान्तानुपत्तिभिः प्रकटये तेषां वचो दूषये ।। कौण्डभट्ट ने अपने पिता को प्रणाम करते हुये उनको पुरूषरूप में सरस्वती कहा है । वैयाकरण दृभूषण में आचार्य कौण्डभट्ट अपने पिता को गुरु भी मानते हैं । ;गुरुपमगुरुम्द्ध