Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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‘‘भारत में भाषाओं का आदान-प्रदान’’‘राष्ट्रीय एकता का आधार’
1 Author(s): DR RADHAKRISHAN
Vol - 3, Issue- 1 , Page(s) : 26 - 28 (2012 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
भाषा लोक की आत्मा होती है। जैसे आत्माओं का एकीकृत स्वरुप ही ईश्वरीय तत्व होता है, ठीक उसी प्रकार लोक की एकनिष्ठ सामूहिकता ही राष्ट्र के रुप में परिलक्षित होती है। भाषा उस राष्ट्र को स्पन्दित करती हुई उसे वाणी प्रदान करती है। डाॅ. धर्मवीर भारती ठीक ही कहते हैं कि ‘‘भाषा हमारी जीवन प्रक्रिया में उपलब्ध रागात्मक मूल्यों की अभिव्यक्ति कर एक व्यक्ति के उपलब्ध सत्य को दूसरे के द्वारा उपलब्ध शब्द से जोड़कर एक सेतु बनती है।