Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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पाशुपत संप्रदाय का उद्भव एवं विकास (एक विवेचन)
1 Author(s): HANSA SAXSENA
Vol - 3, Issue- 1 , Page(s) : 6 - 11 (2012 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
विद्वानों ने हिन्दू संस्कृति का अब तक जो अध्ययन किया है उसमें उनका तरीका यह रहा है कि वे हिन्दू धर्म के किसी एक रूप को लेकर वेदों में उसका मूल खोजते हैं। यह सत्य है कि वेदों में हमारी संस्कृति के बीज निहीत है, किन्तु वेदों से विकास की सारी समस्या हल नहीं होती। उदाहरण के लिये शिव की पूजा हिन्दू समाज में जिस रूप में प्रचलित है, शिव का वह रूप वेदों में नहीं मिलता वेद के रूद्र प्रकृति के उग्र रूपों की कल्पना पर आधारित है।