Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
योगाधारित षिक्षा द्वारा बालक का सर्वांगीण विकास
1 Author(s): MAHENDRA KUMAR TIWARI
Vol - 4, Issue- 2 , Page(s) : 20 - 27 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
बालक ईष्वर की अनुपमकृति है। इस कृति को प्रकृति से संस्कृति में उन्नयन करना माता-पिता, गुरू व समाज का दायित्व है। बालक वह बीज है जिसमें सर्वांगीण विकास रूपी विषाल वट वृक्ष सन्निहित रहता है। भगवान षंकर ने भगवान के बालरूप की वन्दना करते हुए कहा है: ’’वंउउं बाल रूप सोई रामू। सब विधि सुलभ जपत जिस नामू।