1. कपिलदेव द्विवेदी ‘अर्थविज्ञान और व्याकरण दर्शन’
2. वही, पृ॰ 25
3. निरुक्त 1/14
4. निरुक्त दुर्राभाष्य 1/1/3
5. व्ैंाड्रीज जे॰ः लैंग्वेज, पृ॰ 117
6. व्युत्पतिवाद, पृ॰ 1
7. न्यायकोश
8. अर्थविज्ञान और व्याकरण दर्शन, पृ॰ 330
9. मीमांसादर्शन, पृ॰ 29
10. वही, उ(रण
11. ‘न्यायमुक्तावली’-शब्दखंड
12. मीमांसादर्शन 1/1/5
13. द्विवेदी ‘अर्थविज्ञान और व्याकरणदर्शन’ पृ॰ 327
14. महाभाष्य 1/1/67 वार्तिक-4
15. महाभाष्य 1/1/69 समाधन-1
16. वहीं, वार्तिक-5, ध्वनि स्पफोटश्च...।
17. शब्दकौस्तुम्भ, पृ॰ 12
18. स्पफोटसि(ि
19. वाक्यपदीय 1/81
20. सर्वदर्शनसंग्रह ;पाण्निि दर्शनद्ध
21. परमलघुमंजुषा, पृ॰ 24-33
22. वाक्यपदीय 3/7/6
23. वैयाकरणसि(ांतलघुमंजुषा, पृ॰ 364
24. वाक्यपदीय 2/30-31